Khulasa Hindi News

खुद को हर बार बदलने का हुनर आता है मुझे राजकुमार राव  

ये बात अब जगजाहिर हो चुकी है कि राजकुमार राव एक शानदार अभिनेता हैं। पहली फिल्‍म- लव सेक्‍स और धोखा से लेकर हाल ही में आयी फिल्‍म बरेली की बर्फी तक, राजकुमार राव ने हमेशा एक नया किरदार दर्शको के सामने पेशकर वाहवाही लुटी है |

फ़िलहाल वो एकता कपूर की नयी वेब सीरीज काम कर रहे है,जिसमें उनका स्‍वतंत्रता सेनानी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का किरदार है, और ये राजकुमार जैसे कलाकार के लिए संभव था कि इस वेब सीरीज में उन्होंने अपने लुक और अदाकारी से सभी को आश्‍चर्यचकित कर दिया है।मैं काफी संघर्षों के बाद यहां तक पहुंचा :अरशद वारसी

जहाँ उन्होंने फिल्म ट्रैप्‍ड और बहन होगी तेरी के लिए अपने शरीर को सुडौल बनाने के लिए जिम में घंटों व्‍यायाम किया, वहीं इस वेब सीरीज के लिए राजकुमार राव ने बोस डेड/अलाइव के लिए न केवल अपना वजन बढ़ाया था बल्कि नेताजी सुभाष चंद्रा बोस की भूमिका निभाने के लिए उन्‍होंने स्‍वयं को आधा गंजा भी कर लिया था। ऐसा करना सबके बस की बात नहीं है, ये कोई सच्चा कलाकार ही कर सकता है | अक्सर कलाकार ऐसा करने से बचते हैं या फिर विग का इस्तमाल करते हैं मगर परफेक्‍शनिस्‍ट कलाकार राजकुमार ने ऐसा न करते हुए अपना सिर आधा गंजा कराने का फैसला किया।

राजकुमार ने एक तस्वीर पोस्‍ट की, जो फिल्म ट्रैप्‍ड और बहन होगी तेरी के दौरान की गयी जिम में की गयी कसरत और बोस में अपने लुक पे किये एक्सपेरिमेंट की है तथा साथ में कैप्‍शन दिया है  – ”किरदार का निर्माण। पर्दे पर किसी और की जिंदगी को तलाने की प्रक्रिया से अधिक मजा किसी भी और चीज़ में नहीं मिलता।’

https://www.khulasaa.in/manoranjan/rajkummar-rao-to-play-netaji-subhash-chandra-bose-for-ekta-kapoors-new-digital-show/

निर्वासन: प्रेमचंद | Nirvaasan Munshi Premchand ki Kahani

Nirvaasan Munshi Premchand ki Kahani : कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद ने समाज में महिलाओं की स्थिति और उनको लेकर बनाये गए नजरिये पर जमकर प्रहार किया है जिसका सटीक उदहारण उनकी कहानी निर्वासन (Nirvaasan) में पढने के लिए मिलता है। कहानी के माध्यम से पुरुष का एक महिला को लेकर क्या नजरिया होता ये गढ़ा गया है। जब मर्यादा मेले में परशुराम से बिछड़ गयी और दुबारा मिली तो परशुराम के सवाल इसी तरफ इशारे करते है कि पुरुष हमेशा स्त्री को संदेह की नज़र से देखता है। कहानी में जब मर्यादा मेले में बिछड़ जाती है तो लोगो की सहायता के लिए बने दल में से एक उसकी मदद के लिए आगे आता है और रात भर सिर छुपाने की जगह देता है इस जगह पर वो अकेली महिला नहीं थी उसके अलावा भी कई महिलाएं थी । जब इस बात का ज़िक्र मर्यादा ने परशुराम के सामने किया तो पुरुष संदेह की सुईयां एक बार फिर चलने लगी और वो तरह तरह के सवाल पूछने लगा। मुंशी प्रेमचंद ने मानो इस कहानी के द्वारा पुरुष के चरित्र को जस का तस पन्नो पर उखेर दिया हो । जब परशुराम को पता चला कि वहां कई पुरुष मौजूद थे तो उसने अन्य पुरुषों के चरित्र पर भी अपने संदेह की लाठी भांजनी शुरू कर दी । अपनी पवित्रता की कहानी सुनाने के बाद भी पुरुष उसको संदेह की नज़र से ही देखता है इस बात को बेहद ही खुबसूरत व सजीव चित्रण करने में मानो में मुंशी जी को महारत हासिल हो गयी हो। कहानी को पढ़ते हुए ऐसा प्रतीत होता है जैसे परशुराम और मर्यादा को आपने अपने जीवन में या अपने आस पास कही तो देखा है। पढ़िए खुलासा डॉट इन के हिंदी कहानी (Hindi Kahani) सेगमेंट में पढ़िए निर्वासन। साथ ही पढ़िए प्रेमचंद की और कहानी नमक का दारोगा (Namak ka Daroga ) ।

https://www.khulasaa.in/sahitya/kahani/premchand-hindi-stories/nirvaasan-premchand-hindi-story/

पंचतंत्र की कहानियां : गजराज और मूषकराज

प्राचीन काल में एक नदी के किनारे बसा नगर व्यापार का केन्द्र था। फिर आए उस नगर के बुरे दिन, जब एक वर्ष भारी वर्षा हुई। नदी ने अपना रास्ता बदल दिया।

लोगों के लिए पीने का पानी न रहा और देखते ही देखते नगर वीरान हो गया अब वह जगह केवल चूहों के लायक रह गई। चारों ओर चूहे ही चूहे नजर आने लगे। चूहो का पूरा साम्राज्य ही स्थापित हो गया। चूहों के उस साम्राज्य का राजा बना मूषकराज चूहा। चूहों का भाग्य देखो, उनके बसने के बाद नगर के बाहर जमीन से एक पानी का स्त्रोत फूट पडा और वह एक बडा जलाशय बन गया। नगर से कुछ ही दूर एक घना जंगल था। जंगल में अनगिनत हाथी रहते थे। उनका राजा गजराज नामक एक विशाल हाथी था। उस जंगल क्षेत्र में भयानक सूखा पडा। जीव-जन्तु पानी की तलाश में इधर-उधर मारे-मारे फिरने लगे। भारी भरकम शरीर वाले हाथियों की तो दुर्दशा हो गई।

https://www.khulasaa.in/sahitya/kahani/panchatantra-stories-gajraj-and-mushakraj/


Coronavirus Updates in Thailand: कोरोना वायरस के भय से जनता को छोड़कर जर्मनी भागे थाईलैंड के राजा

थाईलैंड, 30 मार्च (एजेंसी)। थाइलैंड के विवादित राजा महा वाजिरालोंगकोर्न ऊर्फ राम दशम कोरोना संकट से जूझ रही जनता को छोड़कर जर्मनी भाग गए हैं। राजा महा ने जर्मनी के एक आलीशान होटल को ही अपना किला बना लिया है। होटल के अंदर बने उनके हरम में 20 महिलाएं रहेंगी। इसके अलावा राजा महा अपने साथ कई नौकर भी लेकर गए हैं।

बताया जा रहा है कि राजा ने परिवार के 119 लोगों को कोरोना से संक्रमित होने के संदेह में वापस थाइलैंड भेज दिया है। इस बीच राजा के कोरोना संकट में छोड़कर विदेश भाग जाने से देश में हजारों लोग काफी गुस्‍से में हैं। लोग सोशल मीडिया पर राजा की आलोचना कर रहे हैं। यह तब है जब थाइलैंड में राजा की आलोचना करने पर 15 साल तक जेल हो सकती है। थाइलैंड में ‘हमें राजा की क्‍या जरूरत’ ट्रेंड कर रहा है। 12 लाख से ज्‍यादा लोगों ने पिछले 24 घंटे में ट्वीट किया है।

https://www.khulasaa.in/vividh/interesting-facts/coronavirus-updates-in-thailand-king-maha-vajiralongkorn-leave-for-germany-leaving-his-country-people-in-pandemic/


Nizamuddin Tablighi Jamaat : क्या है तब्लीगी जमात और क्या है उससे जुड़े कोराना वायरस के विवाद


  • भारत में कोरोना वायरस से अब तक 2000 से अधिक लोगों की मौत
  • तब्लीगी जमात और कोराना का कनेक्शन क्या है?
  • 100 साल पहले हुई तब्लीगी जमात की शुरुआत

नई दिल्ली, 2 अप्रैल (एजेंसी)। भारत में कोरोना वायरस से अब तक 2000 से अधिक लोग संक्रमित हो गए हैं और करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है। कोराना में हुई मौतों में एक चौथाई मौतों को नई दिल्ली के निजामुद्दीन में इस्लामी प्रचारकों के आयोजना से जोड़ा जा रहा है।

असल में निजामुद्दीन में हो रही इस तब्लीगी जमात में देश विदेश से करीब 2000 से अधिक लोग आए थे और यहां से ये लोग देश के कई राज्यों में चले गए। दिल्ली के निजामुद्दीन में आए इन इस्लामिक प्रचारकों में से कई कोराना के संदिग्ध मरीज भी बताए जाते हैं जिनके कारण अलग अलग राज्यों में इनके संपर्क में आने से कई और लोग कोराना वायरस से संक्रमित हो गए। आइए खुलासा डॉट इन में विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये तब्लीगी जमात है क्या और इसके मूलत: उद्देश्य क्या है।

कैसे हुई तब्लीगी जमात की शुरुआत

तब्लीगी जमात (Tablighi Jamaat) की शुरुआत लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में की थी। तब्लीगी जमात का काम विशेषकर इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना होता है। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताये गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत व तब्लीग के लिये समय निकालना) का प्रचार करना होता है। दुनियाभर में एक प्रभावशाली आध्यात्मिक आंदोलन के रूप में मशहूर जमात का काम अब पाकिस्तान और बांग्लादेश से होने वाली गुटबाजी शिकार हो गया है।

कैसे काम करती हैं तब्लीगी जमातें?


दक्षिण एशिया में मौटे तौर पर तब्लीगी जमातों से 15 से 25 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं। जमात सदस्य केवल मुसलमानों के बीच काम करते हैं और उन्हें पैगंबर मोहम्मद द्वारा अपनाए गए जीवन के तरीके सिखाते हैं। तब्लीग का काम करते समय जमात के सदस्यों को छोटे-छोटे समूहों में बांट दिया जाता है। हर समूह का एक मुखिया बनाया जाता है, जिसे अमीर कहते हैं। ये समूह मस्जिद से काम करते हैं। चुनिंदा जगहों पर मुसलमानों की बीच जाकर उन्हें इस्लाम के बारे में बताते हैं।

कोविड-19 और तब्लीगी जमात

मार्च की शुरुआत में निजामुद्दीन इलाके में स्थित बंगले वाली मस्जिद में जमातियों का इज्तिमा हुआ। यहीं पर जमात का मरकज यानी केन्द्र स्थित है। बताया जा रहा है कि इस इज्तिमे में इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, नेपाल, म्यांमा, बांग्लादेश, श्रीलंका और किर्गिस्तान से आए 800 के अधिक विदेशी नागरिकों ने शिरकत की। सरकार के अनुसार एक जनवरी के बाद से 70 देशों से 2 हजार से अधिक विदेशी जमात की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिये भारत आ चुके हैं। इनमें से एक हजार से अधिक विदेशी लॉकडाउन के चलते निजामुद्दीन में ही फंस गए। इनमें से कई के पास छह महीने का पर्यटन वीजा है।

विवाद तब खड़ा हुआ जब इज्तिमे में शिकरत कर तेलंगाना जा रहे एक इंडोनेशियाई नागरिक की मौत हो गई। वह 18 मार्च को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को प्रचारकों को लेकर 21 मार्च को सतर्क किया। जमात का दावा है कि निजामुद्दीन मरकज में लगभग 2,500 सदस्य थे।

22 मार्च को अचानक जनता कर्फ्यू की घोषणा हुई, इसके बाद दिल्ली सरकार ने भी ऐसा ही कदम उठाया। आखिरकार प्रधानमंत्री ने 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान कर दिया, जिसके चलते बड़ी संख्या में जमात के सदस्य मरकज में ही फंसे रह गए जबकि 1,500 लोग वहां से चले गए। तब्लीगी जमात के इज्तिमे में शिरकत करने वालों में फिलिपीन के नागरिक समेत अबतक 10 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जा चुके हैं, जबकि मरकज में ठहरे 285 लोगों को संदिग्ध रोगी मानकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

https://www.khulasaa.in/khaskhabar/all-you-need-to-know-about-nizamuddin-tablighi-jamaat/

.

© Copyright khulasaa